पानी के बदले मौत

कहानी की शुरुआत
आज से बहुत साल पहले की बात हैं। एक मायापुर नाम का गांव था जहाँ 20 साल से पानी का अकाल पड़ा था। और पानी के लिए 7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था।
एक दिन एक मोहन नाम का लड़का अपने दोस्तों के साथ पानी भरने के लिए गया। गर्मी का दिन था और धुप भी बहुत तेज निकली हुई थी। मोहन और उसके दोस्त रास्ते में पैदल चलते चलते थक गये, और एक पेड़ के निचे सारे बैठ गये।
तभी उनमे से एक लड़का उसी गांव का एक किस्सा सुनाने लगा। पिछले साल पानी की वजह से एक औरत का बच्चा रो रहा था। और वो काफ़ी बीमार था, इसलिए वो औरत पानी मांगने हमारे गांव में आयी लेकिन किसी ने उसे पानी नहीं दिया।
जब वो निराश होकर वापस लौट रही थी तो रास्ते में उसे ठाकुर के घर पर पानी दिखा, तो उसने बिना पूछे पानी लेने की कोशिश की। जब उसको ठाकुर ने देखा तो वो बहुत तेज गुस्सा हो गया, और कुल्हाड़ी लेकर उस औरत की तरफ दौड़ा।
उस औरत ने वहाँ से भागने की कोशिश की लेकिन फिर ठोकर खाकर गिर गयी। ठाकुर ने उसके गर्दन पर कुल्हाड़ी मार दिया और उस औरत की हत्या कर दी। उसके एक दिन बाद उस औरत के बच्चे का भी बिना पानी के मौत हो गयी।
कुछ दिनों बाद पता चला की उसी कुल्हाड़ी से ठाकुर को भी किसी ने मार दिया। और धीरे धीरे उसके पुरे परिवार को किसी अनजानी शक्ति ने मौत के घाट उतार दिया।
यह कहानी सुनने के बाद मोहन जल्दी से पानी लेकर अपने घर वापस आ रहा था। शाम हो गयी थी और थोड़ा थोड़ा अंधेरा हो गया था। तभी उसके सामने एक छोटा लड़का आया और उससे पानी मांगने लगा।
इतनी दूर से पानी लाकर वह थक गया था और सांसे भी फूल रही थी तो उसने ध्यान नहीं दिया और गुस्से से बोला- नहीं दूंगा पानी जा भाग जा यहाँ से! और वो लड़का रोता हुआ चला गया।
रात हुई मोहन खाना खाकर अपने कमरे में सोने चला गया, तभी थोड़ी देर में एक औरत उसे दिखाई दी। वो अचानक उठा और देखा तो उसके सामने कोई भी नहीं था।
फिर उसने सोचा की शायद कोई बुरा सपना होगा और फिर सो गया। फिर रात के लगभग 3 बजे के करीब पेशाब करने के लिए अपने घर से बाहर गया। और जैसे ही वो पेशाब करने के लिए बैठा उसे पानी शब्द सुनाई दिया, ऐसा लगा की कोई छोटा सा बच्चा उससे पानी मांग रहा हैं।
उसने सोचा की कोई बगल के घर से आवाज आई होंगी, और वो नजर अंदाज कर के वापस अपने कमरे में जाने लगा। तभी फिर उसे दुबारा वही आवाज सुनाई दिया, पानी!
गुस्सा होना – पानी के बदले मौत
मोहन गुस्सा हो गया और फिर चिल्लाकर बोला –
कौन हैं जो मुझे इतना परेशान कर रहा हैं | सामने आओ, “अभी पानी देता हूँ“। मोहन के इतना बोलते ही उसे अपने पीछे किसी के होने का अनुभव होने लगा।
उसने जल्दी से पीछे मुड़कर देखा तो उसकी रूह काप गयी, उसने देखा की एक औरत अपने हाथ में कुल्हाड़ी लेकर खड़ी थी। वो डर के मारे कापने लगा और वहाँ से तेजी से अंदर भागने लगा तभी उसके पैर के निचे एक पत्थर से ठोकर लगा और वो वही गिर गया।
उसके बाद जो हुआ वो चमत्कार से कम नहीं था। उस रात आसमान में हल्का हल्का बादल था, और अचानक ही पानी की कुछ बुँदे उस औरत पर पड़ी और वो औरत उसी समय वहाँ से गायब हो गयी। मोहन अपनी जान बचाने के लिए भगवान का बार बार धन्यवाद करने लगा।