फुसफुसाती परछाई

देर रात प्रिय पढ़ाई कर रही थी। अचानक, उसे पीछे से हल्की फुसफुसाहट सुनाई दी: “प्रिय… मेरी तरफ देखो…” उसने मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था।
डरते हुए उसने आइने की तरफ देखा। उसकी परछाई गायब थी, और एक काली परछाई मुस्कुरा रही थी।
वो फुसफुसाई, “तुम अकेली नहीं हो…” अचानक, परछाई आइने से बाहर निकल आई और प्रिय की तरफ बढ़ने लगी।
प्रिय चीख नहीं पाई, और परछाई ने उसे जकड़ लिया…
अगली सुबह, कमरे में सिर्फ किताबें बिखरी थीं, और आइने में उसकी मुस्कुराती परछाई दिख रही थी।