भूतिया जंगल में मांस नोचनी चुड़ैल

भूतिया जंगल में मांस नोचनी चुड़ैल

कबाड़ी वालायह कहानी एक ऐसे कबाड़ी वाले के बारे में है जो गाँव-गाँव घूमकर कबाड़ी का सामान लिया करता था और उसका नाम था मंगल और उम्र होगी यही कुछ 26 से 28 साल। बात भी लगभग आज से 25 से 30 साल पुरानी होगी। मंगल कबाड़ी का काम करता था और उसके परिवार में वो, उसकी बीवी और उसके तीन बच्चे थे। दुकान तो उसकी झोला ही थी, मतलब दुकान नहीं थी उसकी। केवल एक साइकिल थी जिस पर वह कबाड़ी का समान लादे रहता था। वो तो केवल इस गांव से उस गाँव जाकर पुराना सामान खरीदता था और उस सामान को शहर जाकर बेच देता था जिससे उसे कुछ पैसे मिल जाते थे।

वो समय ऐसा था कि जब न तो बिजली की व्यवस्था थी और न ही पक्के रास्तों की। इंसानों के द्वारा बनाए गए ‌‌‍‌कच्चे रास्तों से ही लोग आया-जाया करते थे। मंगल भी उन्हीं रास्तों का इस्तेमाल करता था एक जगह से दूसरी जगह जाने में। ऐसे ही, एक दिन की बात है जब सुबह-सुबह ही मंगल दूसरे गांव में भंगार का सामान लेने के लिए निकल गया था। आज उसका दिन अच्छा था और उसको बहुत सारा कबाड़ का समान मिला। तो उसने सोचा कि चलो एक-दो गाँव और घूम आये तो थोड़ा और सामान मिल जायेगा। यही सब सोचकर वो दूसरे गांव भी चला गया। उसको वहां भी खूब सारा कबाड़ का सामान मिला और ऐसे करते-करते उसे शाम हो गई थी। अब वो सोचने लगा कि अरे! आज तो समय का पता ही नहीं चला। मुझे घर पहुँचने में पक्का देर रात होने वाली है।

अगर आज मैं यहाँ रुक जाता हूँ तो घर पर सब मेरी चिंता करेंगे। इसलिए मुझे जल्द से जल्द निकल जाना चाहिये। और यह सब सोचकर वो अपने घर की ओर निकल गया। वैसे वो अपने गाँव से काफी दूर आ गया था और तक़रीबन तीन से चार घंटे उसके लगने वाले थे अपने गांव तक पहुँचने में। हे भगवन! आज काम के चक्कर में बहुत लेट हो गया हूँ, घर पर बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे। मुझे जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहिये।

उसके घर का रास्ता वैसे तो बहुत लम्बा था पर अगर वो जंगल वाले रास्ते से जाये तो वह जल्दी पहुँच जायेगा। यही सब सोचकर वो जंगल वाले रास्ते की ओर चला गया। रात के कुछ 10 बज रहे होंगे। उसे जंगल से थोड़ी दुरी पर लालटेन और आग की रोशनियाँ दिखाई दे रही थी तो उसे थोड़ा सुकून मिल रहा था। पर थोड़ा आगे जाने के बाद, उसे वो रोशनियाँ आना भी बंद हो गई।

अब मंगल धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था पर उसके सामान की वजह से वो थोड़ा थक भी रहा था तो वो थोड़ा आराम करता और फिर से चलने लगता। धीरे-धीरे चलते-चलते उसे उस जंगल में से अजीब सी आवाज आने लगी और उसको महसूस हो रहा था कि कोई तो है उस जंगल में उसके अलावा जो इस तरह की आवाजें कर रहा था। उसको एक गन्दी सी बदबू भी आने लगी थी। तो उसने सोचा की शायद यह बदबू खराब पानी की होगी जो यहाँ जमा हुआ होगा और यह अजीब-सी आवाज शायद इन सामानों से आ रही होगी।

थोड़ा आगे जाने पर उसने फिर से महसूस किया कि पेड़ों पर कोई तो है। शायद यह कोई पक्षी हो। पर फिर उसने देखा कि वो जो कोई भी था वो एक पेड़ से कूदकर दूसरे पेड़ पर जा रहा था और थोड़ी-सी चाँद की रौशनी में, उसने देखा कि वो एक बड़े बालों वाली एक बूढी औरत थी जो कि इधर से उधर कूद रही थी। यह देखकर मंगल डर गया क्योंकि किसी भी बूढ़ी औरत का ऐसे एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदना बिलकुल भी आम बात नहीं थी।

हो न हो यह एक चुड़ैल है और यह सोचकर मंगल के पसीने छूटने लगे। पर मंगल ने अपने डर पर काबू पाया और उसने सोचा कि तेज-तेज साईकिल चलाता हूँ और जल्दी से यहाँ से निकलता हूँ ताकि इससे जान बचे। मंगल तेजी से अपनी साइकिल चलाने लगा और बस इसी इंतज़ार में था कि कब घर पहुँचू और इस डायन से मुझे छुटकारा मिले। अब मंगल को वो डायन दिखाई नहीं दे रही थी और न ही किसी पेड़ के हिलने की आवाज आ रही थी। मंगल को लगा कि शायद वो सब मेरा भ्रम होगा और मैं काफी थक गया हूँ तो मुझे ऐसा खाली अहसास हुआ होगा।

अब मुझे थोड़ा आराम मिला पर मैंने एक बात पर गौर किया कि मेरी साइकिल पर जो पीछे भार लदा था वो काफी भारी हो गया था। अजीब बात थी कि ऐसा कैसे हो सकता था? मतलब शायद मैं थक गया हूँ तो मुझे ऐसा लग रहा होगा। तो मैं थोड़ा रुक गया और मैंने आराम करने का सोचा।मैं आराम ही कर रहा था कि तभी मैंने अपने पीछे किसी की सांसों की आवाज सुनी। ऐसा लग रहा था जैसे वहां मेरे अलावा कोई और भी है। मुझे फिर से पसीने आने लगे और मैंने पीछे मुड़कर देखा। पर वहां कोई भी नहीं था।

मैं काफी थक गया हूँ। मुझे टॉयलेट करके निकलना चाहिए। मैं टॉयलेट करने के लिए पास ही कि झाड़ी तक गया और जब मैंने अपना काम खत्म किया तो जब मैं अपनी साइकिल तक जाने लगा तो मैंने देखा कि एक बूढी और सफ़ेद बालों वाली यह वही चुड़ैल थी जो कुछ देर पहले पेड़ों पर कूद रही थी।

उसे देखकर मेरी जीब गले में ही अटक गयी। वो चुड़ैल काफी भयानक थी और उसका चेहरा बहुत ही बदसूरत और काला था। उसकी एक लम्बी नाक थी और उसने काले रंग की शाल ओढ रखी थी। वो मेरी और देख कर हंस रही थी और अपनी जीब मेरी तरफ करके मुझे उसके पास बुला रही थी।

यह देखकर, मैं समझ गया कि यह एक मांस नोचनी चुड़ैल है। मंगल ने उसके हाथ में एक बड़े गंडासे को देखा और वो चुड़ैल उस गंडासे को हाथों में हिलाती हुई उसके पास आने लगी। बस अब जितनी जान से हो सके मुझे भागना होगा, वरना ये चुड़ैल मुझे जिन्दा खा जायेगी। और यह सोचकर मंगल तेजी से अपने गाँव की ओर भागा और वो चुड़ैल भी उसके पीछे तेजी से भागने लगी। वो चुडेल उसके पीछे भागते वक्त बड़ी ही भयानक विकराल रूपी लग रही थी। पर मंगल भी जोर जोर से हनुमान जी का नाम लेते हुये भाग रहा था और बस गांव तक आ ही गया था तभी चुड़ैल ने एक जोर की चीख निकाली और कहा ‘रुक, मुझे बहुत भूख लगी है।

और फिर वो चुड़ैल हवा में ही गायब हो गयी। मंगल फिर भी भागता रहा और गाँव के मंदिर में जाकर बेहोश हो गया। फिर अगले दिन जब उसको होश आया तो सभी ने उससे पूछा कि क्या हुआ मंगल? तेरी ऐसी हालत और तू यहाँ क्यों सो रहा है?

देख। पूरी रात तेरे बीवी बच्चे कितनी चिंता में थे। चल अब बता तेरे साथ क्या हुआ था?

फिर मंगल ने उन्हें पूरी बात बताई तो वे सब उससे बोले ‘अरे! तेरा दिमाग खराब था क्या जो तू उस मांस नोचनी के जंगल से गुजर कर आया। खेर! तेरे भाग्य अच्छा है जो तू बच गया। शायद ! तुझे भगवान ने बचा लिया।

फिर मंगल उठा और उसने भगवान को धन्यवाद किया और अपने बीवी से मिलकर वो कुछ गाँव वालों के साथ उस जंगल में उस जगह चला गया जहाँ पर उसका कबाड़ी का सामान लादने वाली साइकिल थी।

उन लोगों ने वहां जाकर देखा कि उसकी साइकिल के टुकड़े और कबाड़ी का सामान यहाँ-वहाँ पड़ा हुआ था। यह उस चुड़ैल का ही काम था। मंगल उस दिन बच गया और फिर उसने गाँठ बांध ली कि अब वो इस जंगल में कभी नहीं आयेगा।

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