फाइनल डेस्टिनेशन

मुख्य किरदार:
अर्जुन (मुख्य पात्र): 22 साल का कॉलेज स्टूडेंट, शांत स्वभाव का लेकिन सपना देखकर डरने वाला लड़का। वही सबसे पहले मौत का संकेत देखता है।
रीना: अर्जुन की बचपन की दोस्त, फैशन में इंटरेस्टेड, ब्यूटी पार्लर खोलना चाहती थी।
रोहित: फिटनेस फ्रीक, जिम ट्रेनर बनने का सपना। थोड़ा घमंडी स्वभाव का।
साक्षी: किचन में एक्सपर्ट, शेफ बनने का सपना। सबसे केयर करने वाली।
विक्रम: अर्जुन का रूममेट, मजाकिया स्वभाव का।
नेहा: ग्रुप की सबसे समझदार लड़की, मनोविज्ञान में पढ़ाई कर रही थी।
कहानी शुरू होती है:

साल 2025, करनाल शहर में छह दोस्त कॉलेज ट्रिप पर शिमला जा रहे थे। बस में मस्ती चल रही थी, लेकिन अर्जुन को सपना आता है कि बस का ब्रेक फेल हो जाता है और सभी मर जाते हैं। वह डर के मारे चिल्लाता है:
“बस से उतर जाओ! यह बस का एक्सीडेंट होने वाला है!”
6 दोस्त बस से उतर जाते हैं और कुछ ही देर में वही हादसा सच हो जाता है। सभी सोचते हैं कि उन्होंने मौत को मात दी है, लेकिन असली डर अब शुरू होता है…
रीना की मौत

रीना घर में बाल सुखा रही थी। हेयर ड्रायर का तार पानी में गिर जाता है और करंट लगने से वह बेहोश होकर गिर पड़ती है। उसका शरीर सुन्न हो जाता है और उसकी मौत हो जाती है।
रोहित की मौत

रोहित जिम में वर्कआउट कर रहा था, तभी ट्रेडमिल अचानक तेज चलने लगता है। वह गिरता है और पास रखा भारी वेट उसके ऊपर गिर जाता है। दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है।
साक्षी की मौत

साक्षी गैस पर खाना बना रही थी। गैस लीक हो रही थी और जैसे ही उसने स्टोव जलाया, छोटा सा धमाका हुआ और किचन में आग लग गई। धुएं में दम घुटने से साक्षी की जान चली गई।
विक्रम की मौत

विक्रम अपने कमरे में अकेला था। अचानक सीलिंग फैन की स्क्रू ढीली होकर गिरने लगती है। विक्रम खिड़की बंद कर रहा था कि फैन गिरा और उसके सिर पर लगा। चोट लगने से विक्रम की मौत हो गई।
नेहा की मौत

नेहा लाइब्रेरी जा रही थी। लिफ्ट में जैसे ही उसने कदम रखा, अचानक लिफ्ट नीचे गिरने लगती है। ब्रेक फेल हो जाता है और लिफ्ट के गिरने से उसकी जान चली जाती है।
“कहते हैं, मौत को धोखा देना आसान नहीं… लेकिन जब मौत खुद तुम्हारे पीछे चल पड़े, तब बचना नामुमकिन है…”

अब अर्जुन अकेला बचता है। वह डर के मारे एक बाबा के पास जाता है। बाबा उसे बताते हैं:
“बेटा, मौत की लिस्ट को रोकना मुश्किल है। अगर तुझे बचना है तो अपनी मौत किसी और निर्दोष को देनी पड़ेगी।”
अर्जुन उलझन में आ जाता है…

अर्जुन खुद को बचाने के लिए रेलवे स्टेशन पर एक अजनबी को धक्का देता है। ट्रेन आती है और उस आदमी की मौत हो जाती है। अर्जुन सोचता है कि अब वह सुरक्षित है, लेकिन जैसे ही वह घर लौटता है, उसे समझ में आता है कि मौत उसे छोड़ने वाली नहीं है।
अर्जुन के दिमाग में वही भय और कन्फ्यूजन चल रहा था — क्या उसने सच में अपनी जान बचाई है या मौत ने उसे और भी जाल में फंसा लिया है?
अर्जुन अगले दिन अपने दोस्तों के बारे में सोचता है, जो पहले मर चुके थे। वह फिर से उसी जगह पर जाता है जहाँ उसने उस अजनबी को धक्का दिया था। लेकिन जैसे ही वह वहां पहुंचता है, उसे महसूस होता है कि कुछ गलत है। उसे वहाँ एक और अजनबी दिखाई देता है, जो बिल्कुल उसी हालत में खड़ा है, जैसे वह था।
उस अजनबी के चेहरे पर वही डर था, जो अर्जुन के चेहरे पर पहले था। अर्जुन उस आदमी से पूछता है, “तुम कौन हो?” लेकिन वह आदमी बिना कुछ कहे पीछे मुड़कर चला जाता है। अर्जुन उसकी पीछा करने की कोशिश करता है, लेकिन जैसे ही वह उसे पकड़ने वाला होता है, वह अजनबी गायब हो जाता है।
अर्जुन अब समझ जाता है कि उसने मौत के चक्र को पूरी तरह से समझा नहीं था। वह सोचता है, “क्या मैंने सच में किसी की जान बचाई या अपने आप को और भी मुसीबत में फंसा लिया?” अर्जुन का दिल धड़क रहा था, क्योंकि उसे यह एहसास होता है कि अब उसे सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि और लोगों की भी जान बचानी है, अगर वह इस खौ़फनाक चक्र से बचना चाहता है।
अर्जुन की हालत दिन-ब-दिन और बिगड़ने लगती है। वह हर जगह यह देखता है कि मौत उसके आसपास है — कभी कोई सड़क हादसा, कभी किसी इमारत का गिरना। उसे लगता है जैसे वह खुद को हर रोज मौत के करीब महसूस करता है। उसे लगता है कि हर किसी को मौत की चपेट में लाने का जिम्मा सिर्फ उसका ही है।

आखिरकार अर्जुन एक मंदिर में जाता है, जहाँ वह अपने डर और दुखों को बाबा से बताता है। बाबा उसे समझाते हैं, “बेटा, तुम्हारा भाग्य तुम्हारे हाथों में नहीं है। मौत को धोखा देना और किसी और की जान को बचाना एक बड़ा निर्णय होता है। पर तुम्हें यह समझना होगा कि किसी की जान लेकर खुद को बचाना असल में मौत के खेल को और भी बढ़ाता है।”
वह अपने घर लौट आता है।
थका हुआ अर्जुन अपने कमरे में जाकर लेट जाता है और टीवी ऑन कर लेता है।
बाहर तेज आंधी चल रही थी, लेकिन अर्जुन को फर्क नहीं पड़ता — वह मुस्कुरा कर कहता है:
“अब मौत मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती…”
लेकिन तभी…

अर्जुन के कमरे में ऊपर दीवार पर लगा पुराना AC अचानक जोर से कंपन करने लगता है। अर्जुन ध्यान नहीं देता। तभी बिजली एक पल को गुल होती है और फिर आती है।
अर्जुन पानी लेने किचन की ओर बढ़ता है, और तभी —
AC यूनिट दीवार से उखड़ कर सीधे उसके ऊपर गिरता है!
तेज आवाज होती है —
“धड़ाम!”
और अर्जुन की मौके पर मौत हो जाती है।
बाहर हवा चलती रहती है… और कमरे में टी.वी. पर आवाज आती रहती है:
“आज मौसम में हलचल है… सावधानी बरतें…”
“मौत से भागना बेकार है… जब उसका वक्त आता है, वो तुम्हें तुम्हारे ही घर में पकड़ लेती है…”
यह कहानी ‘Final Destination’ फिल्म से कितनी प्रेरित है?
यह कहानी हॉलीवुड की ‘Final Destination’ फिल्म से प्रेरित जरूर है, लेकिन इसमें भारतीय किरदार, स्थान और घटनाएं जोड़ी गई हैं। हर मौत के पीछे एक रियलिस्टिक कारण दिखाया गया है जो आम जिंदगी में हो सकता है, जैसे गैस लीकेज, जिम एक्सीडेंट या लिफ्ट फेल होना।
क्या यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है?
नहीं, यह एक काल्पनिक (fictional) कहानी है, लेकिन इसमें दिखाई गई घटनाएं और दुर्घटनाएं असल जीवन में हो सकती हैं। इसका मकसद है डर और सस्पेंस के साथ-साथ लोगों को जागरूक करना कि छोटी लापरवाहियाँ भी जानलेवा साबित हो सकती हैं।
इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
इस कहानी का मुख्य संदेश यह है कि मौत से भागा नहीं जा सकता। अगर किसी को लगता है कि वह उसे चकमा दे सकता है, तो वह एक और बड़े खतरे को बुलावा देता है। कहानी यह भी दिखाती है कि किसी और की जान लेकर खुद को बचाना, अंत में आपको और भी बड़ी सज़ा दिला सकता है।
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