होलिका की खौफनाक वापसी

होली की डरावनी कहानी
रात थी होली की। पूरे रुद्रपुर गाँव में जश्न का माहौल था। ढोल-नगाड़ों की धुन पर लोग नाच रहे थे, हर तरफ रंग उड़ रहे थे। बच्चे गुलाल उड़ा रहे थे, औरतें पारंपरिक गीत गा रही थीं, और लोग होलिका दहन की तैयारियों में लगे थे।
लेकिन इस बार की होली कुछ अलग थी… कुछ भयावह, कुछ खौफनाक!
गाँव के बुजुर्गों का कहना था कि होली की रात अजीब घटनाएँ होती हैं, कुछ आत्माएँ इस रात जाग उठती हैं। लेकिन युवा इन बातों को सिर्फ अंधविश्वास मानते थे।
इस बार भी गाँव के चार दोस्तों—अर्जुन, समीर, विशाल, और निखिल—ने गाँव के बाहर पुराने भूतिया हवेली के खंडहर में होली मनाने की योजना बनाई।
वह जगह दशकों से सुनसान थी, क्योंकि कहते हैं कि वहाँ होलिका नाम की एक औरत को काला जादू करने के आरोप में जिंदा जला दिया गया था। गाँव के बड़े-बुजुर्ग उस खंडहर के पास जाने से भी डरते थे, लेकिन नशे और जोश में डूबे इन लड़कों ने इस चेतावनी को मजाक समझ लिया।
शापित होली की शुरुआत
रात के ग्यारह बज चुके थे। चारों दोस्त खंडहर के पास पहुँचे और वहाँ लकड़ियाँ इकट्ठा कर आग जलाई। जैसे ही लपटें उठीं, एक अजीब-सी सरसराहट हुई।
अचानक, हवाएँ तेज़ होने लगीं, आग की लपटें भड़क उठीं, और चारों तरफ गहरा लाल धुआँ फैल गया।
🔥 “यार, यह जगह अजीब लग रही है… हमें वापस चलना चाहिए!” अर्जुन ने घबराते हुए कहा।
😈 “अरे कुछ नहीं होगा, तू ज्यादा सोच मत!” समीर ने हँसते हुए जवाब दिया।
लेकिन तभी विशाल की चीख निकली।
वह काँपते हुए आग की ओर इशारा कर रहा था। वहाँ एक जलती हुई औरत की परछाई थी—उसकी आँखों से अंगारे बरस रहे थे, बाल बिखरे हुए थे, और उसका जला हुआ शरीर धुएँ में लिपटा था।
🔥 “तुम लोगों ने मुझे फिर से जला दिया… अब तुम सब जलोगे!”
यह सुनकर सबके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
खंडहर का शापित आतंक
चारों जान बचाकर भागने लगे, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे ज़मीन उनके पैरों को जकड़ रही हो।
अचानक निखिल ठोकर खाकर गिर पड़ा।
अर्जुन, समीर और विशाल ने जब पीछे मुड़कर देखा, तो उनकी रूह काँप गई—
🔥 होलिका का भूत निखिल के ऊपर झुका हुआ था। उसके जले हुए चेहरे से धुआँ निकल रहा था, और उसकी आँखों से गाढ़ा लाल खून टपक रहा था।
😱 “कोई बचाओ… मुझे छोड़ दो!” निखिल चीखने लगा, लेकिन उसकी चीखें हवाओं में गुम हो गईं।
अगले ही पल, आग की लपटों ने उसे जकड़ लिया और देखते ही देखते वह जलकर राख हो गया।
अर्जुन, समीर और विशाल किसी तरह अपनी जान बचाकर गाँव की ओर भागे। लेकिन होलिका की खौफनाक हँसी उनके पीछे-पीछे गूँजती रही—
🔥 “अगली होली तुम लोगों की आखिरी होगी… मैं लौटूंगी!”
होलिका का शाप – गाँव का डर
अगले दिन जब गाँव के लोग खंडहर पहुँचे, तो वहाँ बस राख बची थी… और राख के बीच निखिल की आधी जली हुई घड़ी पड़ी थी।
उस दिन के बाद, कोई भी गाँव का व्यक्ति उस खंडहर के पास नहीं गया।
होली की रात गाँव में एक अजीब सन्नाटा पसर जाता था। कोई होली की आग के पास अकेला नहीं जाता था। लोग कहते हैं—
🔥 “अगर किसी ने गाँव में नए तरीके से होली जलाने की कोशिश की, तो होलिका फिर से लौट आएगी…”
नई डरावनी घटनाएँ
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई…
अर्जुन, समीर और विशाल ने सोचा कि वे बच गए हैं। लेकिन कुछ दिनों बाद, अर्जुन को सपनों में जलती हुई औरत दिखने लगी।
उसकी आँखों में लाल रोशनी थी, और वह धीमी आवाज़ में कह रही थी—
😈 “तुमने मुझे जला दिया… मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगी!”
एक रात, अर्जुन अपने कमरे में अकेला था। अचानक, कमरे की लाइट जल-बुझने लगी, और दरवाज़े पर किसी के नाखूनों की खरोंच सुनाई दी।
🚪 “खर्र… खर्र… खर्र…”
अर्जुन का दिल जोरों से धड़कने लगा।
जब उसने हिम्मत कर के दरवाज़ा खोला—
🔥 वहाँ कोई नहीं था… लेकिन ज़मीन पर जले हुए पैरों के निशान थे!
क्या होलिका सच में लौट आई?
गाँव में लोग धीरे-धीरे अर्जुन, समीर और विशाल से दूर रहने लगे।
समीर ने गाँव छोड़ दिया, लेकिन कहते हैं कि वह जहाँ भी गया, वहाँ रात में जलते हुए पैरों की छापें दिखाई देतीं।
विशाल एक दिन अचानक लापता हो गया। लोगों ने उसे आखिरी बार उसी खंडहर के पास देखा था।
अब गाँव में होली की रात कोई बाहर नहीं निकलता।
🔥 “क्योंकि अगर कोई दोबारा खंडहर में होली जलाएगा… तो होलिका फिर लौटेगी!”